Success Story: पैरों से लिख डाली सफलता की कहानी, JRF में ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल कर रच दिया इतिहास
कहते हैं कि हाथों की लकीरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि तकदीरें तो उनकी भी होती हैं जिनके हाथ नहीं होते। इसका मतलब होता है कि हर किसी कोई अपनी तकदीर लिखता है। चाहे उसके पास हाथ हो या ना हो।
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कहते हैं कि हाथों की लकीरों पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि तकदीरें तो उनकी भी होती हैं जिनके हाथ नहीं होते। इसका मतलब होता है कि हर किसी कोई अपनी तकदीर लिखता है। चाहे उसके पास हाथ हो या ना हो।
आज हम आपको ऐसे ही लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने हाथों से नहीं बल्कि पैरों से सफलता लिखी है। अंकिता ने दिव्यांगता को मात देकर न सिर्फ JRF परीक्षा पास की है बल्कि ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया है।
अंकिता दिव्यांग है। जन्म से ही अंकिता के दोनों हाथ नहीं है। लेकिन उन्होंने कभी अपना हौंसला नहीं टूटने दिया। अपने पैरों को अपना हाथ बनाकर सफलता की कहानी लिख दी। अंकिता ने अपने पैरों से दूरी रैंक के साथ JRF परीक्षा क्वालिफाई किया है।
पैरों से की है पढ़ाई-लिखाई
अंकिता के पिता प्रेम सिंह तोपाल टिहरी जिले में ITI में इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम करते हैं। अंकिता ने ऋषिकेश से 12वीं की परीक्षा पास की है। इसके लिए बाद की पढ़ाई उन्होंने देहरादून से की है।
अंकिता ने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और अब JRF परीक्षा में ये उपलब्धि हासिल कर पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। अंकिता की इस उपलब्धि पर न सिर्फ उनके परिवार वाले खुश हैं बल्कि पूरे इलाके में खुशी का माहौल है।